ना कोई काम है ना ही लोग मेरे आस-पास, हर दिन लगने लगा हैं, ना कोई काम है ना ही लोग मेरे आस-पास, हर दिन लगने लगा हैं,
एक ग़ज़ल...। एक ग़ज़ल...।
मेरी व्याकुलता को विराम मिला। मेरी चिंता का चरम थम सा गया। मेरी व्याकुलता को विराम मिला। मेरी चिंता का चरम थम सा गया।
अमन, चैन व हिफ़ाजत की बात करते हैं...! अमन, चैन व हिफ़ाजत की बात करते हैं...!
चलो आज फिर इक नई सी सुबह बनाएं तुम बारिश लाना हम थोड़े बादल ले आएं...। चलो आज फिर इक नई सी सुबह बनाएं तुम बारिश लाना हम थोड़े बादल ले आएं...।
सुलझी-सी, गुलाबों-सी, महकती है मेरी ज़िंदगी... सुलझी-सी, गुलाबों-सी, महकती है मेरी ज़िंदगी...